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आतंकवाद आज पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रहा है। यह एक बहुत ही घातक और खतरनाक गतिविधि है। अभी पिछले सप्ताह PM मोदी Prime minister Modi ने आज दिल्ली में आयोजित ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) No Money For Terror Conference सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ‘आतंकवाद का खात्मा होने तक चैन से नहीं बैठेंगे'। आतंकवाद की वैश्विक समस्या का समाधान खोजने के लिए इसमें 75 देश इकट्ठा हुए। सभी देशों ने इस बात पर सहमति जतायी कि आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने के लिए इसे अलग-अलग स्रोतों से मिलने वाली फंडिंग पर सख्ती से लगाम लगाना जरूरी है। लगभग सभी ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की इच्छा भी जतायी है।हर किसी के मन में यह सवाल जरूर आता है कि जहाँ एक तरफ आम नागरिक को कड़ी मेहनत करके कमाना पड़ता है और तब जाकर वह अपने और अपने परिवार का पेट पाल पाता है। तो वहीं दूसरी ओर ये आतंकवादी अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए इतनी बड़ी तादाद में फंड कहां से लाते हैं आखिर कहाँ से ये इतनी बड़ी मात्रा में गोला-बारूद व विस्फोटक लाते हैं और कहाँ से मिलता है इनको ये फंड। यानि आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए Terror Funding कहाँ से प्राप्त करते हैं तो इस आर्टिकल में आज हम आपको इसी Terror Funding के बारे में बताने जा रहे हैं।
कई बार आतंकी हमले इतने खतरनाक होते हैं कि पूरी दुनिया इनके हमलों से विचलित हो जाती है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका America पर 9/11 वाले आतंकी हमले के बाद टेरर फंडिंग Terror Funding रोकने की बड़ी कवायद हुई थी। साल 2001 में अमेरिका ने पहली बार आतंकी संगठनों को मिलने वाली फंडिंग को रोकने की कोशिश की भी थी लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा और आज 21 साल बाद भी अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र United Nations की तरफ से हुए प्रयासों के बाद भी आतंकी फंडिंग कम नहीं हुई है बल्कि और भी ज्यादा बढ़ गयी है। पिछले कुछ समय से इस बात की भी बहुत चर्चा है कि आतंकवादी समूह क्रिप्टो और क्राउडफंडिंग crypto and crowdfunding के जरिये भी धन संग्रह और हस्तांतरण कर रहे हैं। इस काम में गैरलाभकारी संगठनों अर्थात् एनजीओ का भी इस्तेमाल किया जाता है, ताकि उन्हें मिलने वाले डोनेशन या फंडिंग को वैध दर्शाया जा सके।
पिछले सप्ताह देश में ‘नो मनी फॉर टेरर' कॉन्फ्रेंस आयोजित की गयी और आतंकवाद की वैश्विक समस्या का समाधान खोजने के लिए इसमें 75 देश इकट्ठा हुए। आज आतंकवाद इतना बढ़ गया है कि इस पर लगाम कसना बहुत जरुरी हो गया है और लगाम कसने के लिए टेरर फंडिंग पर रोक जरूरी है। दरअसल टेरर फंडिंग पर काबू पाना उतना आसान नहीं है जितना सोचा जाता है। देश या फिर दुनिया में होने वाले बड़े-बड़े आतंकी हमले के पीछे पैसो की फंडिंग कैसे होती है। आखिर कौन होता है जो आतंकियों को इतने बुरे काम के के लिए पैसे देता है। ऐसे बहुत से सवाल हर किसी के मन में हैं जिन्हें हर कोई जानना चाहता है। आखिर इसके पीछे की क्या वजह है चलिए इस लेख में जानते हैं कि कैसे और क्या होती आतंकी फंडिंग।
क्या होती है आतंकी फंडिंग What Is Terror Funding?
आखिर टेरर फंडिंग कैसे व कहां से होती है और इन फंडिंग का इस्तेमाल कैसे किया जाता है। आतंकवाद terrorism भी तरह-तरह का होता है। इसमें आतंकवाद को बढ़ावा देना, व्यक्तिगत कृत्य, सामूहिक हमले, ब्रेनवाशिंग अभियान, आतंकी विचारधारा का प्रसार, आतंकवादी प्रशिक्षण कार्यक्रम Promotion of terrorism, individual acts, mass attacks, brainwashing campaigns, dissemination of terrorist ideology, terrorist training जैसी कई गतिविधियॉं आती हैं। ये ड्रग्स, हथियारों की तस्करी, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, अपहरण व फिरौती Drugs, arms smuggling, human trafficking, kidnapping and ransom जैसे गैरकानूनी अपराध भी हो सकते हैं। ये जितने भी काम हैं इन सभी कामों के लिए बड़ी मात्रा में धन की जरूरत होती है।
टेरर फंडिंग के कई तरीके होते हैं। आतंकी संगठनों को मिलने वाले पैसे में सबसे अहम हिस्सा चैरिटी charity का होता है। जैसे दान, चंदे, सदस्यता शुल्क के वैध रूप में। आतंकी फंडिंग के बारे में जानकारी रखने वाले जानकारों का कहना है कि टेरर फंडिंग के लिए डोनेशन donation सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके लिए आतंकी समूह अलग-अलग स्रोतों से मदद लेकर धन की कमी को पूरा करते हैं। यह किसी खास शख्स या देश की ओर से दिया जाने वाला दान हो सकता है या इसमें कई तरह के चैरिटी व कई अमीर व्यक्तियों द्वारा इसकी फंडिंग की जाती है। आतंकी संगठन कई तरह के चैरिटी के माध्यम से फंड इकट्ठा करते हैं।
साल 2004 में आतंकी फंडिंग पर काम करने वाली अमेरिका की स्पेशल टास्क फोर्स की रिपोर्ट America's Special Task Force Report के अनुसार कई देशों और दूसरे आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वालों पर कार्रवाई करने के लिए कहा था। लेकिन फिर भी आतंकी फंडिंग में कमी नहीं आई है। कई जानकारों का कहना है कि कई देशों में हजारों ऐसे ट्रस्ट हैं जो टेरर फंडिंग करते हैं। 2002 के टास्क फोर्स के अनुसार कई दशकों से आतंकी संगठन को चैरिटी से फंडिंग मिलती थी। कई देश ऐसे भी हैं, जो टेरर फंडिंग के जरिये दुनिया में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कुख्यात हैं। काफी समय से ये चर्चा हो रही है कि आतंकवादी समूह क्रिप्टो और क्राउडफंडिंग के द्वारा भी धन संग्रह और हस्तांतरण कर रहे हैं और इस काम के लिए ये आतंकवादी समूह द्वारा गैरलाभकारी संगठनों अर्थात् एनजीओ का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह से वो मिलने वाले डोनेशन या फंडिंग को वैध बताकर आतंकी फंडिंग Terror Funding इकट्ठा करते हैं।
ड्रग्स और बिजनेस के माध्यम से भी जुटाया जाता है पैसा
गैरकानूनी धंधों illegal businesses से फंडिंग आतंकवादी संगठनों की आय का मुख्य स्रोत ड्रग्स, अफीम और दूसरे नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त और बड़े पैमाने पर हथियारों की तस्करी है। ड्रग्स ट्रेड drugs trade भी आतंकी फंडिंग या टेरर फंडिंग का एक सबसे बड़ा माध्यम माना जाता है। आतंकी संगठन नॉन कमर्शियल गतिविधि non commercial activity के द्वारा भी पैसे इकट्ठा करते हैं। साल 2001 में आतंकी फंडिंग के विरोध में अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई के बाद कई आतंकी संगठनो ने वैध तरीके से कमाई के रास्ते अपनाए। इसमें खेती, सार्वजनिक निर्माण क्षेत्र में निवेश इत्यादि शामिल है।
इसके अलावा ड्रग व कोई सामान बेचकर फंड इकट्ठा किया गया था। सबसे ज्यादा पैसा ड्रग्स तस्करी के जरिए कमाया जाता है। इसके अलावा दुनिया भर में अफीम की सप्लाई होती है और यूनाइटेड नेशन्स इसे भी टेरर फंडिंग का एक प्रमुख जरिया मानती है। इसके अलावा आतंकी बिजनेस से भी पैसे जुटाते हैं। आतंकी फंडिंग के लिए बिजनेस के नाम पर पैसा इकट्ठा किया जाता है और इन बिजनेस से होने वाली कमाई को आतंक फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल कृषि व कंस्ट्रक्शन क्षेत्रों से इकट्ठा किए गए पैसों को आतंकी फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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