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लाचारी और गरीबी से परेशान होकर कई बच्चों को बचपन से ही बाल श्रम जैसी समस्या से जुझना पड़ता है। बाल श्रम बच्चों के लिए अभिशाप बन गया है और इस दलदल से बच्चों को बाहर निकालने के लिए प्रति वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य purpose of World Day Against Child Labour है-14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम करवाने के बजाय उन्हें शिक्षा Education देना और आगे बढ़ने के लिए जागरूक करना और इसी सोच को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हर साल इसकी अलग थीम Theme रखी जाती है।

12 जून का दिन दुनियाभर में बाल श्रम निषेध दिवस World day against Child Labour के रूप में मनाया जाता है। जिसमें छोटे बच्चों की मजदूरी की वजहों, स्थितियों पर चर्चा के साथ उसे रोकने के प्रयासों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये कार्यक्रम 2002 से चले आ रहे हैं लेकिन अभी भी बाल श्रम Child Labour पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सका है। बचपन किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे अच्छा और सुकून भरा पल होता है। ऐसा वक्त जब हमें ना तो किसी चीज़ की कोई चिंता होती है और ना ही फ़िक्र। जब हम पढ़ाई को थोड़ा समय देते हैं और दोस्तों के साथ अपने पसंदीदा खेल खेलने में व्यस्त रहते हैं। जिंदगी का भरपूर आनंद लेने का सबसे अच्छा वक्त बचपन होता है। पर क्या सभी का बचपन ऐसा ही होता है?

आइए आपको एक सच्ची घटना की मदद से ये समझाते हैं।

मुझे बनारस से दिल्ली जाना था। 6 घंटे के सफर के बाद मैंने गाड़ी रोकी और लंच करने के लिए मैं एक रेस्टोरेंट में गई। रेस्टोरेंट काफी अच्छा था और मैं ऑर्डर करने ही जा रही थी तभी मैंने देखा कि जो व्यक्ति सबकी डाइनिंग टेबल पर ग्लास रख रहा है वह करीब 10 या 12 का होगा। वह बच्चा मेरे पास ऑर्डर लेने आया। मैं उस बच्चे से बात करना चाहती थी तभी उसे रेस्टोरेंट के मालिक ने बुला लिया। उस बच्चे ने कहा कि मैं 5 मिनट में वापस आता हूं। मैं उस बच्चे के आने का इंतज़ार कर रही थी तभी मैंने देखा कि रेस्टोरेंट के मालिक उस बच्चे को डांट रहे थे कि तुम काम सही से नहीं कर रहे हो और अगर ऐसे ही चलता रहा तो तुम्हें बिना पैसे दिए मैं नौकरी से निकाल दूंगा। इस पर उस बच्चे ने कहा कि आगे से उससे कोई भी गलती नहीं होगी। वह बच्चा फिर से मेरे पास आता है और ऑर्डर लेकर चला जाता है। मैं उससे बात तो करना चाहती थी लेकिन डर था कि कहीं मेरी वजह से रेस्टोरेंट के मालिक उस बच्चे को फिर से ना डांट दें। वह बच्चा सबके टेबल पर जाकर ऑर्डर लेने लगता है तभी मेरी नज़र एक 7 से 8 साल के बच्चे पर पड़ती है, जो रेस्टोरेंट में बर्तन धुल रहा है। गरीब घर के कई बच्चों को अक्सर अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए बहुत ही कम उम्र से ही काम करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि रेस्टोरेंट में उन बच्चों से कोई ज़बरदस्ती काम करवा रहा है क्योंकि जब बाद में उस बच्चे से मैंने बात की तो उसने बताया कि इस बारे में उसके परिवार को पता है और उसके पिता जितना कमाते हैं, उससे घर नहीं चल सकता इसीलिए काम करना उसकी मजबूरी है। उसने ये भी बताया कि वह स्कूल तो जाना चाहता है लेकिन रेस्टोरेंट में इतना काम रहता है कि वह स्कूल नहीं जा पाता है।

जब छोटे बच्चे बहुत ही कम उम्र में काम करने लग जाते हैं तो बहुत कुछ सीखने का मौका गवां देते हैं और जब वही बच्चे बड़े होते हैं तो वे समाज के लिए कुछ अच्छा इसीलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनके पास उतनी स्किल्स नहीं रहती हैं।

दुनिया भर में 15.20 करोड़ बच्‍चे हैं जिनमें 8.8 करोड़ लड़के और 6.4 करोड़ लड़कियां बाल मजदूर child labor हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बाल मजदूरों की संख्‍या 1.01 करोड़ है जिसमें 56 लाख लड़के और 45 लाख लड़कियां हैं। दुनिया भर में प्रत्‍येक 10 बच्‍चों में से एक बच्‍चा बाल मजदूर है लेकिन पिछले कुछ सालों से बाल-श्रमिकों की दर में कमी आई है क्योंकि लोगों को इससे जुड़े नुकसान के बारे में बताया जा रहा है।

बाल मजदूरी के अनेक कारण हैं Causes of Child Labour

कई माता-पिता गरीबी के कारण अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते हैं, इसीलिए वे उनसे श्रम करवाने लगते हैं।

सामाजिक तथा आर्थिक रुप से पिछड़ापन भी बाल श्रम का एक बड़ा कारण है।

कई माता-पिता अशिक्षित होते हैं और उन्हें ये नहीं पता होता है कि कम उम्र में बच्चों से श्रम करवाने पर उन पर बुरा असर पड़ता है।

परिवार की आमदनी बढ़ाने के लालच में कई माता-पिता अपने बच्चों को बाल मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं और अक्सर ऐसा पाया गया है कि ऐसे लोगों को नशे की लत होती है और वे खुद कमाने के बजाय अपने बच्चों से काम करवाते हैं।

कई दुकानदार और फैक्ट्री के मालिक बच्चों को जानबूझकर काम पर रखते हैं क्योंकि बच्चों से वे कम पैसों में ज्यादा काम निकाल लेते हैं।

“Children deserve holding books, not bricks”

लाचारी और गरीबी poverty से परेशान इन बच्चों को बचपन से ही बाल श्रम जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। बाल श्रम बच्चों के लिए अभिशाप बन गया है और इस दलदल से बच्चों को बाहर निकालने के लिए प्रति वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य purpose of World day against Child Labour है-14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम करवाने के बजाय उन्हें शिक्षा education देना और आगे बढ़ने के लिए जागरूक करना और इसी सोच को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हर साल इसकी अलग थीम theme रखी जाती है। इसकी शुरुआत 20 साल पहले अंतराष्ट्रीय श्रम संघ ने की थी। 2022 में बाल श्रम निषेध दिवस की थीम है- बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण यानी Universal Social Protection to End Child Labour.

Tags:

child labour, education, world day against child labour

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