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हाथों, चेहरे एवं शरीर के हाव भाव से बातचीत करने की भाषा को सांकेतिक भाषा यानी साइन लैंग्वेज (Sign Language) कहा जाता है। अन्य भाषाओं की तरह, सांकेतिक भाषाओं के भी अपने सिंटैक्स और उपयोग दिशानिर्देश होते हैं। सांकेतिक भाषा का उपयोग उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो बहरे हैं और सुन नहीं सकते हैं। इस तथ्य के कारण कि सांकेतिक भाषा उनकी मूल भाषा और माध्यम है जिसके द्वारा मूक और बधिर एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, हालाँकि सांकेतिक भाषा लिखी नहीं जाती है, लेकिन किसी भी अन्य भाषा की तरह इसका अपना सिंटैक्स और मानदंड (Syntax and Criteria) होता है। सांकेतिक भाषाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) द्वारा की गई थी। इस भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 22 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day Of Sign Language) मनाया जाता है।

हर साल 23 सितंबर को “अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस”, जिसे अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में भी जाना जाता है, अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस को मनाए जाने का प्रस्ताव विश्व बधिर संघ (World Deaf Day) ने रखा था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 सितंबर, 2018 को सांकेतिक भाषा के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में नामित किया।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day Of Sign Languages)

WFD (World Federation of the Deaf) की स्थापना 23 सितंबर, 1951 को हुई थी। दूसरे शब्दों में, 23 सितंबर एक वकालत समूह की स्थापना का प्रतीक है, जिसका एक प्रमुख उद्देश्य सांकेतिक भाषाओं और बधिर संस्कृति का संरक्षण आवश्यक शर्तों के रूप में करना है। बधिर लोगों के मानवाधिकारों की उपलब्धि इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । इस वर्ष पांचवां वार्षिक विश्व सांकेतिक भाषा दिवस 2022 (International day of sign Language 2022) मनाया जा रहा है। सांकेतिक भाषा के लिए एक विशेष दिन की घोषणा के साथ, बधिर समुदाय को जल्द से जल्द सांकेतिक भाषा से संबंधित सेवाएं प्रदान करने पर भी जोर दिया गया।

सांकेतिक भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास (History Of The International Day Of Sign Languages)

संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर 2018 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। 23 सितंबर 1951 को विश्व मूक फेडरेशन (World silent Federation) की स्थापना की गई थी। इस के उपलक्ष्य में हर साल अंतर्राष्ट्रीय साइन लैंग्वेज डे मनाया जाता है। हर साल, इस दिन के लिए एक अलग थीम होती है। उदाहरण के लिए, 2018 में थीम थी साइन लैंग्वेज के साथ, हर कोई शामिल है। 2019 में, विषय सभी के लिए सांकेतिक भाषा अधिकार था! यह पता लगाने योग्य है कि प्रत्येक वर्ष विषय क्या है, क्योंकि यह आपको विभिन्न तरीकों के बारे में जानने में मदद कर सकता है जिससे आप तिथि का निरीक्षण कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस की महत्व क्या है (What Is The Significance Of International Sign Language Day)

संकेतिक भाषा का प्रारंभिक प्रमाण पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्लेटो की क्रेटीलस में मिला था। इस पर सुकरात ने कहा है कि अगर हमारे पास सुनने और बोलने की शक्ति नहीं होती है और हम एक दूसरे से अपना विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो उस स्थिति में हम अपने हाथों, सिर और शरीर के अन्य अंगों द्वारा संकेतों के माध्यम से बातचीत करने की कोशिश करते हैं।

1620 में जुआन पाब्लो बोनेट में मेड्रिड में मूक-बधिर लोगों के संवाद को समर्पित पहली किताब पब्लिश की थी। जिसके बाद 1680 में जोर्ज डालगार्नो (Jorge Dalgarno) ने भी एक और पुस्तक पब्लिश की थी। इसके बाद 1755 में अब्बे डी लिपि (Abbe de Lipi) ने पेरिस (Paris) में बधिर बच्चों के लिए पहला विद्यालय की स्थापना की थी। जिसके बाद 19 वीं सदी में अमेरिका और अन्य देशों में भी बधिर बच्चों के लिए ऐसे अनेक स्कूलों की स्थापना धीरे-धीरे होने लगी ।

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