हाल के दिनों में, इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग को बिना प्रॉपर्टी गिरवी रखे फ़ंडिंग की तत्काल उपलब्धता और परेशानी रहित आवेदन प्रक्रिया जैसे कारणों से लोकप्रियता हासिल हुई है। वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली इनवाइस फाइनेंस सुविधा से, एसएमएमई कारोबारियो के वर्किंग कैपिटल घाटे में 10% तक कमी हो सकती है। यह बिजनेस लोन का एक सरल उपाय है। हालांकि, इसमे राशि कम अमाउंट का ही मिलता है।
इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग क्या है?
भारत में इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग से मतलब उस प्रक्रिया से है जिसके माध्यम से कारोबारी अपने ग्राहकों से बकाया को दिखाकर बैंक या एनबीएफसी से धन प्राप्त कर सकते हैं। यह एक प्रकार का लोन ही होता है। लेकिन, इसमे कारोबारी द्वारा बैंक या एनबीएफसी को यह दिखाया जाता है कि उसके ग्राहको पर कितना धन बकाया है, जैसे ही उसका बकाया धन मिलता है, वैसे ही वह इनवाइस फाइनेंस के तौर पर लिया गया लोन को वापस कर देगा। इसके बदले वित्तिय संस्थान कुछ शुल्क चार्ज करते हैं। फाइनेंस के इस प्रकार के माध्यम से, व्यवसायों को लोन के रूप में मिलने वाली धनराशि का उपयोग बिजनेस के कार्यो में किया जाता है।
इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग का लाभ
इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग का उपयोग करके, बिजनेस अपने कैश-फ्लो में सुधार कर सकते हैं, बिजनेस के विस्तार को बढ़ावा देने के लिए इनंवेस्ट कर सकते हैं, अपने डीलर का पेमेंट कर सकते हैं और कर्मचारियों को सैलरी इत्यादि दे सकते हैं। अन्य वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। इनवॉयस फाइनेंसिंग कंपनियों को बिलों का निपटान करने के लिए ग्राहकों की प्रतीक्षा करने और आवश्यक फंडिंग तक आसानी से पहुंचने के लिए आवश्यकता से दूर करने में मदद करती है, इस प्रकार यह व्यवसायों द्वारा मांगे गए फाइनेंस का एक लोकप्रिय रूप है।
इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग कैसे काम करता है?
इनवॉइस फाइनेस के लिए चयन करने से पहले, यह जानना महत्वपूर्ण है कि पूरी वित्त पोषण प्रक्रिया कैसे की जाती है। अधिकांश बिजनेस आम तौर पर अपने माल और सेवाओं को अपने ग्राहकों (जैसे खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं) को क्रेडिट के आधार पर बेचते हैं। इसका मतलब है कि ग्राहक आमतौर पर इस तरह के सामान और सेवाओं के लिए अग्रिम भुगतान नहीं करते हैं और इसके बदले बाद में शुल्क लिया जाता है। अब, जब बिजनेस ग्राहकों को अपनी वस्तुओं या सेवाओं को बेचता है, तो यह 30-90 दिनों के भीतर देय इनवॉइस होता है। इनवॉयस फाइनेंसिंग वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कारोबारी इन कदमों का पालन करते हुए ऐसे इनवॉयस के उपर तुरंत फंडिंग प्राप्त कर सकते हैं।
एक बार इनवॉइस बन जाने के बाद, बिजनेस इसे चुने हुए फाइनेंसर के पास भेज देता है। फाइनेंसर तब इस चालान की समीक्षा करता है और 2 से दिन * के भीतर बिजनेस लोन के रूप में इसके मूल्य का एक प्रतिशत वितरित करता है। एक बार जब यह इनवॉइस ग्राहक द्वारा तय किया जाता है, तो व्यवसायों को उनके इनवॉइस के मूल्य का शेष प्रतिशत प्राप्त होता है, जो फाइनेंसर द्वारा लगाए गए निर्धारित सेवा शुल्क को छोड़ देता है। इनवॉइस फाइनेंसिंग कारोबारियो को अतिरिक्त फंड का इंतजाम करने मे मदद करता है।
इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग के प्रकार
एक बिजनेस के मालिक के रूप में, आप दो प्रकार के इनवॉइस फ़ाइनेंसिंग का विकल्प चुन सकते हैं। ये इनवॉइस फैक्टरिंग और इनवॉइस डिस्काउंटिंग हैं। इन दोनों प्रकार के इनवॉइस फाइनेंस एक ही सिद्धांत के साथ काम करते हैं, लेकिन, दोनों की बनावट अलग होती है।
इनवॉइस फैक्टरिंग
इसे डेट फैक्टरिंग के रूप में भी जाना जाता है, यह विशेष प्रकार का फाइनेंस सहायता, कारोबारी को तीसरे पक्ष के द्वारा दी गई इनवॉइस के उपर लोन दिलाता है। ग्राहक द्वारा दी गई इनवॉइस को दिखाकर कारोबारी फंड प्राप्त करता है। फैक्टरिंग कंपनी (फाइनेंसर) इन इनवॉइस को उनके कुल मूल्य के एक निश्चित प्रतिशत के लिए खरीदती है और इन चालानों के खिलाफ भुगतान एकत्र करने की जिम्मेदारी लेती है।
इनवॉइस डिस्काउंटिंग
दूसरी ओर, इनवॉइस की डिस्काउंटिंग गोपनीयता के तहत की जाती है। इस प्रक्रिया में, बिजनेस के ग्राहकों को इस तथ्य के बारे में पता नहीं है कि धन जुटाने के लिए उनके द्वारा दी गई इनवॉइस पर कारोबारी द्वारा फंड प्राप्त किया जा रहा है। यहां, पर वह ग्राहक लोन देने वाली संस्था को यह प्रमाणित करता है कि हां उसे उक्त कारोबारी को उतना फंड देना है। इसके आधार पर उक्त कारोबारी को लोन मिलता है।