भारत को अंग्रेजों से आजादी प्राप्त हुए 70 साल से अधिक समय हो गया है। इन 70 वर्षों में भारत में बहुत कुछ बदला है। बल्कि भारत आज विकासशील देशों में सबसे आगे खड़ा है और विकसित देशों से कुछ मामलों में कुछ ही पीछे है। विकास के क्रम में यहां के लोग कदम – ताल मिलाकर आगे बढ़ते चल रहे हैं। ऐसे में देशवाशियों की जीवनशैली में बदलाव होना भी निश्चित है। जीवनशैली में बदलाव का ही एक एह हिस्सा है खाना यानी भोजन।
पहले जब किसी के शादी या कोई सामूहिक समारोह हुआ करता था तब खाने की जिम्मेदारी स्थानीय लोग, परिवार के लोग और रिश्तेदार लोग मिलकर उठाते थे। सब आपस में मिलकर – बांटकर ही सभी के लिए भोजन का इंतजाम कर दिया करते थे। लेकिन, अब लोगों के पास इतना समय नहीं रह गया है कि लोग किसी के यहां या अपने ही घर में हो रहे किसी समारोह में आने वाले लोगों के भोजन का इंतजाम करें।
लेकिन, ऐसा तो हो नहीं सकता है कि लोग शादी में आयें और बिना भोजन करे ही वापस चले जाएं। तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए एक नया व्यवसाय ने जन्म लिया। इस व्यवसाय को केटरिंग का बिजनेस कहा जाता है। केटरिंग का बिजनेस बहुत पुराना है लेकिन यह प्रचलित पिछले 2 – 3 दशकों में हुआ है। पहले इस बिजनेस की सेवा सिर्फ वही लोग लेते थे जो आर्थिक तौर बहुत अधिक समृद्ध माने जाते थे। लेकिन अब केटरिंग सर्विस की जरूरत हर किसी को होने लगी है।
केटरिंग का बिजनेस होता क्या है?
अगर मैं सीधे शब्दों में कहूँ तो केटरिंग का बिजनेस भोजन का इंतजाम करने वाला बिजनेस है। जिस प्रकार होटल इत्यादि बुक करने पर वहां भोजन की भी व्यवस्था होती है, ठीक उसी प्रकार केटरिंग बुक करने पर तय तारीख और बताई गई जगह पर भोजन का इंतजाम केटरिंग बिजनेस वाले की तरफ से किया जाता है। बेसिकली यह ऑर्डर पर भोजन तैयार करने वाला बिजनेस है। इस बिजनेस की जरूरत शादी में, पारिवारिक समारोह में, जन्मदिन उत्सव में इत्यादि जैसे कार्यक्रमों में होती है। क्योंकि इन कार्यकर्मों में आमंत्रित अतिथियों को भोजन का की जरूरत को पूरा करता है केटरिंग सर्विस। केटरिंग बिजनेस की सर्विस लेने वाले व्यक्ति को प्रति प्लेट भोजन के हिसाब से भुगतान करना होता है।
क्या केटरिंग का बिजनेस करना फायदेमंद है?
जिस रफ़्तार से अपने देश के लोगों की जीवनशैली बदल रही है, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में केटरिंग का बिजनेस बहुत फायदेमंद रहने वाला है। मतलब केटरिंग का बिजनेस करने वाले कारोबारियों को लाभ ही लाभ प्राप्त होने वाला है। क्योंकि अब हर कोई चाहता है कि उनके यहां आये हुए अतिथि को तमाम तरह के व्यंजन भोजन करने के लिए मिले। जाहिर तौर यह सत्य बात है कि जितने पप्रकार का व्यंजन बनेगा उसी के हिसाब से प्लेटों का मूल्य भी बढ़ेगा। जब प्लेटों का मूल्य बढ़ेगा तो स्वाभाविक तौर पर केटरर को मुनाफा होगा। इस तरह से हम देखें तो केटरिंग का बहुत मुनाफा वाला बिजनेस है।
इसी के साथ बता दें कि केटरिंग का बिजनेस एक ऐसा बिजनेस है जिसे जब चाहें तब बढ़ा सकते हैं यानी बिजनेस का विस्तार कर सकते हैं। क्योंकि यह पूरी तरह से ग्राहक के डिमांड यानी ऑर्डर मिलने पर डिपेंड करने वाला बिजनेस है। अगर केटरिंग संचालक चाहें तो मैरिज हाल, होटल इत्यादि से अनुबंध भी कर सकते हैं। ताकि जब उन मैरिज हाल या होटल में भोजन का कोई बड़ा ऑर्डर मिले तो वह तुरंत संबंधित केटरिंग संचालक से संपर्क करें। इससे बिजनेस में मुनाफा बढ़ता जाता है।
जहां तक इस केटरिंग बिजनेस के शुरु करने में लगने वाली लागत की बात है तो यह एक ऐसा बिजनेस है जिसे सिर्फ 1 लाख रुपये के भीतर शुर किया जा सकता है। हां जब बिजनेस बढ़ने लगे और मुनाफा होने लगे तो इस बिजनेस के लिए बकायदा ऑफिस इत्यादि भी खोला जा सकता है। जब ऑफिस इत्यादि के लिए पर्याप्त धन न हो तो बिजनेस लोन की सहायता प्राप्त की जा सकती है।