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भारत देश में कई ऐसे आश्चर्यचकित कर देने वाले मंदिर और जगहें हैं, जिसके पीछे की अगर आप वजह खोजना चाहो तो आप क्या शायद अच्छे-अच्छे वैज्ञानिक भी फेल हो जाएं। कई वैज्ञानिकों ने ऐसे मंदिर और जगहों पर शोध करने का विचार बनाया और शोध शुरू भी कर दी लेकिन शोध करने के बावजूद भी उनके हाथ कुछ ना लगा और निराश होकर कुछ वैज्ञानिक तो बीच में ही शोध छोड़कर चले गए। आज हम आपको एक ऐसे ही सूर्यकुंड मंदिर Surya Kund Mandir के बारे में बताएंगे जहां दिन में तीन बार बदल जाता है कुंड के पानी का रंग और अगर आप इस मंदिर के कुंड के जल से स्नान कर लें तो आपके शरीर के सारे चर्मरोग भी दूर हो जाते हैं।
भारत देश में कई ऐसे आश्चर्यचकित कर देने वाले मंदिर और जगहें हैं, जिसके पीछे की अगर आप वजह खोजना चाहो तो आप क्या शायद अच्छे-अच्छे वैज्ञानिक भी फेल हो जाएं। कई वैज्ञानिकों ने ऐसे मंदिर और जगहों पर शोध करने का विचार बनाया और शोध शुरू भी कर दी लेकिन शोध करने के बावजूद भी उनके हाथ कुछ ना लगा और निराश होकर कुछ वैज्ञानिक तो बीच में ही शोध छोड़कर चले गए।
आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जहां दिन में तीन बार बदल जाता है कुंड के पानी का रंग और अगर आप इस मंदिर के कुंड के जल से स्नान कर लें तो आपके शरीर के सारे चर्मरोग भी दूर हो जाते हैं।
कहां है वह अद्भुत मंदिर जहां दिन में तीन बार बदल जाता है कुंड के पानी का रंग?
हमारे देश के गौरवमयी इतिहास Ancient Indian history को संजोने वाला यह सूर्य मन्दिर, हरियाणा Prachin Surya Kund Mandir के जिला यमुनानगर के गांव अमादलपुर में स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि यमुनानगर में स्थित सूर्यकुंड मन्दिर और उड़ीसा का कोणार्क मंदिर Konark Sun temple भारत में दो ही ऐसे मंदिर हैं, जिन पर सूर्य ग्रहण तक का प्रभाव नहीं पड़ता है और सूर्य ग्रहण के समय भी ये दोनों मंदिर खुले रहते हैं।
सूर्यकुंड मन्दिर पर लगे एक बोर्ड के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण राजा सुमित्र ने करवाया था, जो त्रेतायुग के राजा मानधाता के सूर्यवंशी राजवंश की 126वीं पीढ़ी थे।
किन रंगो में बदलता है कुंड का रंग?
ग्रहण का इस मंदिर पर जरा सा भी प्रभाव नहीं पड़ता है और सूर्य ग्रहण के मौके पर यहां अंधेरा नहीं होता है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि सूर्यग्रहण के समय सूर्य की किरणें सूर्यकुंड मन्दिर के कण में समा जाती हैं। सूर्यकुंड मन्दिर के कुंड का पानी भगवान सूर्य की कृपा से लाल, हरे और पीले रंग में परिवर्तित होता रहता है।
एक और मान्यता यह है कि है अमावस्या सक्रांति और पितृपक्ष में यहां पिंड दान करने से पितरों को विशेष तरह की तृप्ति प्राप्त होती है।
इस कुंड में जिसने नहा लिया उसके सारे चर्मरोग दूर हो जाते हैं और अगर किसी बच्चे को कमजोरी की समस्या है तो इस कुंड में स्नान करने से यह समस्या भी दूर हो जाती है।
सूर्यदेव के अलावा यहां और भी कई देवी-देवताओं के हैं मंदिर
यहां सूर्यदेव के अलावा भगवान शिव, लक्ष्मी-नारायण और श्री हनुमान का भी मंदिर है और एक राम दरबार है। चातुर्मास में यह मंदिर बन जाता है संतों की नगरी और दूर दराज से कई संत सूर्यकुंड मंदिर में आते हैं और यहां ध्यान-साधना करते हैं। यहां पर शिव मंदिर का निर्माण और मंदिर में लिंग की स्थापना स्वयं अर्जुन ने की थी।
आपको बता दें कि यहां कई वर्षों से बिना रुके राम चरित मानस का पाठ रोज़ होता है और इसकी शुरुआत श्री श्री 1008 श्री अखिलानंद ब्रह्मचारी महाराज जी 1008 Shri Akhilanand Brahmachari Maharaj Ji ने की थी।
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