Disclaimer: This is a user generated content submitted by a member of the WriteUpCafe Community. The views and writings here reflect that of the author and not of WriteUpCafe. If you have any complaints regarding this post kindly report it to us.

Post Highlight

विविध संस्कृति और और बोली/भाषा के लोगों वाला देश भारत त्योहारों के दौरान एकजुटता का प्रतीक बन जाता है। पारंपरिक महत्व वाले ये उत्सव के अवसर एक ऐसे परिदृश्य को दर्शाते हैं जहां केवल सकारात्मक नैतिकता ही पनपती है और सहयोग का लोकाचार मौजूद होता है। अलग-अलग जाति या धर्म के बावजूद, भारत में लोग इस तरह प्रेम और उल्लास की भावना के साथ त्योहारों के उत्सव में शामिल होते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत भारतीय त्योहार रक्षा बंधन का जादू है जो भाइयों और बहनों के बीच मौजूद सुंदर और शुद्ध बंधन का प्रतीक है। इस त्योहार की असली खूबसूरती इस बात में है कि यह त्योहार सिर्फ खून के रिश्तों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे सभी धर्मों के लोग भी मना सकते हैं जो भाई-बहन की भावनाओं को अपने दिलों में बसा लेते हैं

राखी का वास्तविक अर्थ होता है- किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना और यही कारण है कि बहनें इस त्योहार में अपने भाइयों को राखी Rakhi बांधती हैं। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ बहनें ही अपने भाइयों को राखी बांधे क्योंकि आज के समय में भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधते हैं। भारतीय धर्म और संस्कृति के अनुसार इस त्योहार को श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

#RakshaBandhan2022

#RakshaBandhanIsMoreThanJustAFestival

भाई और बहन के बीच सुरक्षा के बंधन का प्रतीक माने जाने वाला त्योहार रक्षा बंधन Raksha Bandhan भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों festival में से एक है। इस त्योहार की उत्पत्ति अन्य भारतीय पर्व की तुलना में थोड़ी अलग है। रक्षा बंधन के दिन बहनें अपनी भाई की कलाई पर राखी Rakhi बांधती हैं और इसके साथ-साथ अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। आइए रक्षा बंधन के बारे में और जानते हैं-

Everything you need to know about the Raksha Bandhan

रक्षा बंधन क्या है? What is Raksha Bandhan?

भारतीय धर्म और संस्कृति के अनुसार इस त्योहार को श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भाई और बहन को स्नेह की डोर में बांधने वाले इस त्योहार को राखी भी कहते हैं।

दरअसल, राखी का वास्तविक अर्थ होता है- किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना और यही कारण है कि बहनें इस त्योहार में अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ बहनें ही अपने भाइयों को राखी बांधे क्योंकि आज के समय में भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधते हैं।

कैसे हुई रक्षा बंधन की शुरुआत? Origin of Raksha Bandhan Festival

रक्षा बंधन की उत्पत्ति की व्याख्या करने वाली अनेक कथाएं इतिहास में मौजूद हैं। इनमें से कुछ पौराणिक कथाएं mythological significance of Raksha Bandhan हैं और कुछ ऐतिहासिक कथाएं हैं। आइए रक्षा बंधन से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में जानते हैं –

Story behind Raksha Bandhan

1. इंद्र और शचि की कथा Indra Dev and Sachi

हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले देवी शचि Devi Sachi ने अपने पति इंद्र Indra Dev को राखी बांधी थी ताकि युद्ध में देवताओं के राजा इंद्र विजयी हों।

जब इंद्र देवता वृत्तासुर से युद्ध करने जा रहे थे तो उनकी पत्नी इंद्राणी ने इंद्र देव की कलाई के चारों ओर एक पवित्र पीला कलावा बांधा था और तभी से सुरक्षा के लिए ये पर्व मनाया जाने लगा।

2. द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कथा Draupadi and Lord Krishna

महाभारत में शिशुपाल के दुव्यवहार से तंग आकर जब भगवान श्री कृष्ण ने उसका वध किया था तब उनके हाथ में भी चोट आ गई थी। द्रौपदी ने देर ना करते हुए अपनी साड़ी के कोने का एक सिरा भगवान श्री कृष्ण की चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण, द्रौपदी की इस क्रिया से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने यह घोषणा की कि द्रौपदी अब उनकी बहन है और वह हमेशा द्रौपदी की रक्षा करेंगे।

आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने वादे को निभाया भी था। जब हस्तिनापुर की सभा में दुस्शासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तब श्री कृष्ण द्रौपदी के बुलाने पर आए और उन्होंने द्रौपदी के मान की रक्षा की थी।

3. राजपूत रानियाँ, पड़ोस के राजाओं को राखी भेजती थीं

भारत के ऐतिहासिक काल में राखी का उपयोग भाईचारे और दोस्ती को दर्शाने के लिए किया जाता था। राजपूत रानियाँ मित्रता के प्रतीक के रूप में पड़ोस के राजाओं को राखी भेजती थीं।

4. एकता के प्रतीक के रूप में रक्षा बंधन मनाया गया

जब ब्रिटिश सरकार बंगाल का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन कर रही थी, तब कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन के त्योहार Raksha Bandhan को एकता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया और ब्रिटिश शासन की रणनीति पर पानी फेर दिया।

रक्षा बंधन, 2022 की तिथि When is Raksha Bandhan, 2022?

यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और 2022 में रक्षा बंधन 11 अगस्त को देश भर में धूम-धाम से मनाया जाएगा।

11 अगस्त 2022 को 10 बजकर 37 मिनट के बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी जो 12 अगस्त को सुबह 7 बजे के करीब खत्म होगी। 11 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 10.37 बजे से लग जाएगी और पूर्णमासी जिस दिन लग रही है, उसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनेगा। यानी 11 अगस्त की पूर्णिमा में में रक्षाबंधन मनाया जाना ही उचित है ।

रक्षा बंधन के दूसरे नाम Different names of Raksha Bandhan

रक्षा बंधन को कई जगहों पर राखी के त्योहार के नाम से जानते हैं। राखी के अलावा रक्षा बंधन को पश्चिमी भारत में नारली पूर्णिमा Nariyal Purnima, ओड़िशा में गाम्हा पूर्णिमा, मध्य भारत में कजरी पूर्णिमा Kajari Purnima, उत्तराखंड में जंध्यम पूर्णिमा और बंगाल में इसे झूलन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।

How is Raksha Bandhan celebrated across India?

रक्षा बंधन पर किए जाने वाले अनुष्ठान

रक्षा बंधन के दिन महिलाएं स्नान कर व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। पूजा करने के बाद वह अपने भाइयों की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती हैं। वह अपने भाइयों को टीका लगाती हैं, उनकी आरती करती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं वहीं बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

बंगाल में झूलन पूर्णिमा को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है और इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है।

ओड़िशा में गम्हा पूर्णिमा के दिन लोग गायों और बैलों को सजाते हैं और इनकी पूजा करते हैं।

Tags:

raksha bandhan 2022, everything you need to know about the raksha bandhan, what is raksha bandhan

इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए कृपया लिंक पर क्लिक करें –

लेटेस्ट हिंदी बिज़नेस न्यूज़ पढ़ने के लिए कृपया लिंक पर क्लिक करें –

https://www.thinkwithniche.in/
Do you like Think With Niche's articles? Follow on social!

Login

Welcome to WriteUpCafe Community

Join our community to engage with fellow bloggers and increase the visibility of your blog.
Join WriteUpCafe