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आप के साथ कभी ना कभी ऐसा ज़रूर हुआ होगा जब आपको लगा होगा कि आप कोई काम नहीं कर सकते हैं और बिना किसी कोशिश के आप पहले से ही तय कर लेते हैं कि ये तो मेरे बस की बात नहीं है। ये एक तरह का सेल्फ रिजेक्शन Self-Rejection है, जब कोई और नहीं बल्कि आप खुद ही ये तय कर लेते हैं कि आप किसी विशेष काम को नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी काम को ट्राई किए बिना ही आप यह निर्णय ले लेते हैं कि अगर मैंने कोशिश भी की तो भी मैं इस विशेष काम को नहीं कर पाऊंगा। ऐसे करने पर धीरे-धीरे आप सेल्फ रिजेक्शन के जाल में उलझते रहते हैं और कोई भी काम करने से पहले ही आप ये ठान लेते हैं कि मुझसे ये काम नहीं हो पाएगा।

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आप के साथ कभी ना कभी ऐसा ज़रूर हुआ होगा जब आपको लगा होगा कि आप कोई काम नहीं कर सकते हैं और बिना किसी कोशिश के आप पहले से ही तय कर लेते हैं कि ये तो मेरे बस की बात नहीं है। ये एक तरह का सेल्फ रिजेक्शन Self-Rejection है, जब कोई और नहीं बल्कि आप खुद ही ये तय कर लेते हैं कि आप किसी विशेष काम को नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी काम को ट्राई किए बिना ही आप यह निर्णय ले लेते हैं कि अगर मैंने कोशिश भी की तो भी मैं इस विशेष काम को नहीं कर पाऊंगा। ऐसे करने पर धीरे-धीरे आप सेल्फ रिजेक्शन के जाल में उलझते रहते हैं और कोई भी काम करने से पहले ही आप ये ठान लेते हैं कि मुझसे ये काम नहीं हो पाएगा।

The greatest trap in our life is not success, popularity or power, but self-rejection. – Henri Nouwen

सेल्फ रिजेक्शन के उदाहरण

आप अपनी मनपसंद जॉब के लिए कभी अप्लाई नहीं करते हैं क्योंकि आपको लगता है कि इंटरव्यू अच्छा नहीं जाएगा और उस जॉब के लिए कई बेहतर लोगों ने अप्लाई किया होगा तो भला कोई आपको क्यों सेलेक्ट करेगा। ऐसा हो सकता है कि उस जॉब के लिए आपसे बेहतर कई लोगों ने अप्लाई किया हो लेकिन आपको कोशिश तो करनी चाहिए। इस सोच के साथ उनके रिजेक्ट करने से पहले ही आप खुद को रिजेक्ट कर देते हैं और अच्छे अवसरों का फायदा नहीं उठाते हैं।

कभी आपको किसी नए ग्रुप से दोस्ती करने का मन हुआ होगा लेकिन फिर आपने ये सोचकर उन लोगों से बात नहीं की होगी कि शायद वे लोग आपको उनका दोस्त न बनाएं इसीलिए आपने अपनी तरफ से ट्राई भी नहीं किया।

आप काम पर ज्यादा ध्यान ये कह कर नहीं देते हैं कि मैं कितनी भी मेहनत क्यों ना कर लूं, नतीज़ा एक ही होगा। आप बार-बार खुद से ऐसा कहते हैं इसीलिए काम पर आपकी परफॉर्मेंस work performance बढ़ने की बजाय समान रहती है या घटती रहती है।

सेल्फ रिजेक्शन के लक्षण Self Rejection Symptoms

शुरुआत में इसके लक्षण पहचानना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि हम सब कभी ना कभी खुद को रिजेक्ट करते हैं लेकिन जब ये आदत बन जाए तो ये गंभीर समस्या का रूप ले लेती है। आइए Self-rejection के लक्षण को जानते हैं-

Signs of Self- Rejection

1. खुद की तुलना दूसरों से करना Always comparing yourself to others

खुद की तुलना दूसरों से करना नॉर्मल है लेकिन जब आप हर बात पर दूसरों से तुलना करते हैं तो धीरे-धीरे ये एक ऑब्सेशन बन जाता है और ये आपको तंग करने लगता है। किसी काम को करने में आपको 5 घंटे लगते हैं वहीं आपके दोस्त उसी काम को 3 घंटे में कर लेते हैं, इस पर भी आप अपनी तुलना उनसे ये कहकर करते हैं कि मैं क्यों उस काम को 3 घंटे में नहीं कर पा रहा हूं।

आप खुद को परफेक्ट बनाइए लेकिन अपनी तुलना खुद से करिए। क्या आप कल से बेहतर काम कर रहे हैं, क्या आप एक अच्छा रूटीन फॉलो कर रहे हैं। दूसरों से तुलना करके आप अपने काम से ज्यादा उनके काम पर फोकस करेंगे और आप अपने काम में अच्छा नहीं कर पाएंगे।

“Comparison with myself brings improvement, comparison with others brings discontent.” – Betty Jamie Chung

2. ये सोच रखना कि आप अपने गोल्स नहीं अचीव कर पाएंगे

ऐसा अक्सर होता है कि हम अपने लिए कई बड़े-बड़े गोल्स goals सेट करते हैं, फिर कुछ समय बाद हमें यह पता चलता है कि उन गोल्स को अचीव करना इतना आसान नहीं है तो फिर हम छोटे-छोटे गोल्स बनाते हैं, गोल्स को मोडिफाई और एडजस्ट करते हैं और ऐसा करना बिलकुल जायज़ है, पर कुछ लोगों में ये आदत होती है कि वे कभी बड़े गोल्स बनाते ही नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि ये उनके बस की बात ही नहीं है। वे हमेशा आसान गोल्स बनाते हैं और कभी-कभी उन्हें अचीव करते हैं और खुश रहते हैं। स्किल्स के होने के बावजूद भी वे खुद को हमेशा ये कहकर रिजेक्ट Self-rejection करते हैं कि ये काम मुश्किल है, मुझसे नहीं होगा, मुझे एक्सपीरियंस नहीं है, मेरी उम्र कम है, आदि।

3. किसी से बात ना करना Isolating Yourself

आप खुद को ये सोचकर आइसोलेट isolating yourself कर लेते हैं कि अगर आप दूसरों से अपने बारे में बात करेंगे तो लोग आपकी बात में रुचि नहीं दिखाएंगे और आपसे बात नहीं करेंगे इसीलिए किसी के रिजेक्ट करने से पहले ही आप खुद को रिजेक्ट कर लेते हैं।

हां, ये बिलकुल सच है कि कई बार लोग हमारे आइडियाज को पसंद नहीं करते हैं और हमसे बात नहीं करना चाहते हैं लेकिन ये हर बार नहीं होता है और इस डर से कि लोग आपको पसंद नहीं करेंगे, आप खुद को आइसोलेट करते हैं, ये बेहद गलत है। खुद को आइसोलेट कर लेने से आप कई चीजों को मिस कर देते हैं और कुछ समय बाद आप पहले जैसे कांफिडनेट नहीं रहते हैं।

Tags:

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