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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन Solid Waste Management, पूरे विश्व के साथ भारत में बहुत बड़ी समस्या का रूप ले चुका है क्योंकि शहरीकरण, औद्योगिकरण और आर्थिक विकास के परिणाम स्वरूप शहरी कूड़े-करकट की मात्रा बहुत बढ़ गई है। जनसंख्या वृद्धि और विशेष रूप से मेगासिटी का विकास भारत में SWM को एक बड़ी समस्या बना रहा है। यानि बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या और लोगों के जीवन स्तर में सुधार से यह समस्या और भी जटिल हुई है। वर्तमान स्थिति यह है कि भारत अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, अनौपचारिक क्षेत्र और अपशिष्ट डंपिंग पर निर्भर है। अपशिष्ट प्रबंधन में प्रमुख मुद्दे सार्वजनिक भागीदारी से जुड़े हैं और आम तौर पर समुदाय में कचरे के प्रति जिम्मेदारी की कमी देखी जा सकती है। ठोस अपशिष्ट का समुचित निपटान न होने से कई बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। देश के विभिन्न भागों में इस दिशा में सामुदायिक जागरूकता पैदा की जा रही है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से सम्बन्धित मसलों के व्यापक समाधान के लिए अब भी बहुत-कुछ किया जाना बाकी है। इस लेख के द्वारा आप ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पूरे विश्व में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन Solid Waste Management गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। जनसंख्या बढ़ने से अपशिष्ट की मात्रा बढ़ती है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन चर्चा में इसलिए है क्योंकि भारत सहित कई देश बढ़ते कचरे के कुशलतापूर्वक निपटान की चुनौती का सामना कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत प्रतिवर्ष 960 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न करता है। देखा जाये तो हमारे पास ठोस अपशिष्ट के निपटान की कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है। कुशल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली efficient solid waste management system का मुख्य उद्देश्य कूड़े-करकट से अधिकतम मात्रा में उपयोगी संसाधन प्राप्त करना और produce energy ऊर्जा का उत्पादन करना है ताकि कम-से-कम मात्रा में अपशिष्ट पदार्थों को लैंडफिल क्षेत्र में फेंकना पड़े। इसका कारण यह है कि लैंडफिल में फेंके जाने वाले कूड़े का भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एक तो इसके लिए काफी जमीन की आवश्यकता होती है जो लगातार कम होती जा रही है, और दूसरा कूड़ा वायु, मिट्टी और जल-प्रदूषण का सम्भावित कारण भी है। ठोस अपशिष्ट को फेंक देने से जमीन तो खराब होती ही है, लेकिन उसको जलाने से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। साथ ही लोगों को कई बीमारियाँ अपनी चपेट में ले रही हैं। इसलिए आज के समय को देखते हुए ठोस अपशिष्ट का सही प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। तो चलिए आज Solid Waste Management ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Solid Waste Management क्या है? What Is Solid Waste Management In India
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) इस समय सुर्ख़ियों में बना हुआ है। क्योंकि वर्तमान समय में बढ़ता हुआ ठोस कचरा, चिंता के प्रमुख विषयों में से एक है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का अर्थ सामान्यतः उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत घरों से, फैक्ट्रियों से तथा अन्य कई स्रोतो से निकले ठोस अपशिष्ट से है जो मनुष्य जीव-जंतुओ और पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। समाज की गतिविधियों के परिणामस्वरूप प्राप्त ठोस अवस्था में बेकार और गैर-वांछित उत्पाद Waste and undesired products ही ठोस अपशिष्ट कहलाता है। यानि मनुष्य द्वारा उपयोग के बाद त्याग दिये जाने वाले ठोस तत्वों अथवा पदार्थों को ठोस अपशिष्ट कहते हैं। ठोस अपशिष्ट Solid Waste वे पदार्थ होते हैं जो उपयोग के बाद निरर्थक एवं बेकार हो जाते हैं तथा जिनका कोई आर्थिक उपयोग नहीं होता है। जैसे-डिब्बे, काँच के सामान, अखबार, बोतल, पाॅलिथिन बैग, प्लास्टिक सामान , राख, घरेलू कचरा, लौहा-लक्कड़, आवासीय कचरा Cans, Glassware, Newspaper, Bottle, Polythene Bag, Plastic Goods, Ash, Household Garbage, Iron, Residential Garbage आदि। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन भारत में भी बहुत बड़ी समस्या का रूप ले चुका है क्योंकि शहरीकरण, औद्योगिकरण और आर्थिक विकास Urbanization, Industrialization and Economic Development के परिणाम स्वरूप शहरी कूड़े-करकट की मात्रा बहुत बढ़ गई है। ठोस कूड़े-करकट का समुचित निस्तारण सही से नहीं हो पा रहा है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से सम्बन्धित मसलों के लिए व्यापक समाधान होना जरुरी है। ठोस अपशिष्ट को फेंक देने से जमीन तो खराब होती ही है, लेकिन उसको जलाने से वायु प्रदूषण air pollution भी बढ़ता है। देखा जाये तो भारत प्रतिवर्ष 960 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न करता है और हमारे पास ठोस अपशिष्ट के निपटान की कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है इसीलिए हमें वर्तमान में ठोस अपशिष्ट का सही प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। अपशिष्ट प्रबंधन का आशय पर्यावरण तथा जीव जंतुओ के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोकना उनको कम करना होता है।

ठोस अपशिष्ट को सामान्य भाषा में कई शब्दों के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे –

कचरा (Garbage)- यह मुख्य रूप से खाद्य अपशिष्ट और सड़ने योग्य जैविक अपशिष्ट शामिल होते हैं।

लिटर (Litter) – यह सार्वजनिक स्थानों पर इधर उधर फेंका गया सामान, कागज़, बॉटल आदि होते हैं।

रबिश (Rubbish)- खाद्य कचरे को छोड़कर, दहनशील और गैर-दहनशील ठोस अपशिष्ट शामिल होते हैं।

रेफ्यूज़ (Refuse) -इसके अंतर्गत कचरा और रबिश दोनों शामिल होते हैं।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रकार Types of Solid Waste
पुनरावर्तन अपशिष्ट – इन्हे रीसाइक्लिंग अपशिष्ट (Recycling waste) कहा जाता है। पुनरावर्तन अपशिष्ट में उन अपशिष्ट को रखा गया है, जिनको उपयोग करने के बाद फिर से प्रोसेसिंग करके उपयोग में लाया जाता है। इन अपशिष्ट के अंतर्गत एलमुनियम के डिब्बे, रद्दी कागज,प्लास्टिक आदि को शामिल किया गया है।

जैव निम्नीकरण अपशिष्ट – जैव निम्नीकरण अपशिष्ट वह अपशिष्ट होते हैं, जिनको सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) के द्वारा निम्नीकरण अथवा विघटित किया जा सकता है। इन अपशिष्टों के अंतर्गत सब्जियों के छिलके फसलों के अवशेष फेंके गये खाद्य पदार्थों के कवच आदि को शामिल किया गया है।

अनिम्नीकरण अपशिष्ट – ये वे अपशिष्ट होते हैं, जिनका निम्नीकरण करना बिल्कुल आसान नहीं या फिर असंभव होता है। ये अपशिष्ट वातावरण तथा जीव जंतुओं के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं। इस अपशिष्टों के अंतर्गत पॉलीथिन, प्लास्टिक, सेरेमिक कांच, एस्बेस्टोज आदि आते हैं।

ठोस अपशिष्ट के स्रोत

ठोस अपशिष्ट के मुख्य स्रोत निम्न हैं – Main Sources Of Solid Waste
औद्योगिक अपशिष्ट Industrial waste
औद्योगिक अपशिष्ट बड़े और छोटे उद्योगों से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को निर्मित करने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। इस अपशिष्ट में विभिन्न प्रकार का रासायनिक कचरा, भट्टी का लावा, धातु स्क्रैप, पैकेजिंग अपशिष्ट, गाद, राख आदि शामिल होते हैं। यानि औद्योगिक इकाइयों द्वारा अनेक प्रकार के अपशिष्ट त्यागे जाते है, जो भूमि या मृदा प्रदूषण के मुख्य कारक है।

घरेलू व नगरपालिका अपशिष्ट Domestic and municipal waste
इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाला विभिन्न प्रकार का अपशिष्ट, होता है, जो प्रमुख रूप से घरों से निकला हुआ कचरा, कार्यालय, व्यावसायिक ठिकानों, अस्पतालों से निकलने वाला कचरा, सड़क को साफ़ करके निकलने वाला कूड़ा होता है।

इनमें कूड़ा कचरा,रसोई घर का कचरा, कांच, कागज, टायर, बैटरी, प्लास्टिक, चिकित्सा सामग्री जैसे दस्ताने,पट्टी आदि अन्य चीज़ें जैसे पॉलीथिन, चमड़ा, आदि शामिल हैं। यह कचरा, नगर पालिकाओं के द्वारा इकट्ठा किया जाता है।

खनन अपशिष्ट Mining waste
पृथ्वी में खनन करके कई धातुओं और कोयला को निकाला जाता है इसलिए यहाँ से निकलने वाले अपशिष्ट खनन अपशिष्ट होते हैं। इनके अतर्गत खान की धूल, चट्टानों के अवशेष धातु मल कोयले का चूरा आदि आते हैं। खनन के लिए भू-पृष्ठ को तोड़ा या खोदा जाता है और इससे मलबे का ढेर लग जाता है। इसमें निम्न श्रेणी के खनिज को ऐसे छोड़ दिया जाता है। मलबा भी इधर उधर फैला हुआ होता है।

इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट Electronic waste
इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिकल स्रोतों से निकले हुए कंप्यूटर, मोबाइल लेपटॉप आदि से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं।

कृषिजनित अपशिष्ट Agricultural waste
फसल के बाद खेतों मे बचे डण्ठल, पत्ते, घास-फूस आदि कृषि अपशिष्ट कहलाते हैं। ये कृषि अपशिष्ट खेतों मे पड़े रहते हैं और अधिक मात्रा मे होने पर ये समस्या पैदा करते हैं। विकसित देशों मे इनका निष्पादन एक कठिन समस्या है।

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