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भारत के विकास एवं परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय संस्थान, जिसे नीति आयोग (NITI Aayog) के नाम से भी जाना जाता है। इसे भारत सरकार (Indian government) के लिए थिंक टैंक (think tank) के रूप में बनाया गया है। निति आयोग केंद्र सरकार की नीति बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आयोग राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करता है और भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की प्रगति या विकास पर नज़र रखता है। इस लेख में आज हम नीति आयोग के स्तंभ, योजनाओं, कार्यों और निति आयोग के द्वारा की गयी नयी पहलों पर चर्चा करेंगे। यूपीएससी प्रीलिम्स और मुख्य परीक्षा में इस पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए नीति आयोग के बारे में विस्तार से जानकारी रखना बहुत आवश्यक है।

NITI Aayog क्या है?

नीति आयोग (NITI Aayog) भारत सरकार का प्रमुख नीतिगत ‘थिंक टैंक' (think tank) है, जो दिशात्मक और नीतिगत इनपुट प्रदान करता है। यह आयोग, भारत सरकार के लिए कार्यनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों की योजना तैयार करने के साथ-साथ केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है।

नीति आयोग का इतिहास (Historical Background of NITI Aayog)

आपको बता दें कि नीति आयोग से पहले ‘योजना आयोग’ (Planning Commission) की शुरुआत मार्च 1950 में एक गैर-संवैधानिक निकाय के रूप में की गई थी। इस योजना आयोग का गठन पंचवर्षीय योजनाओं (five year plans) को तैयार करने और राज्यों और मंत्रालयों को धन के वितरण के कार्यों के लिए किया गया था। इस आयोग के तहत प्रथम पंचवर्षीय योजना वर्ष 1951-56 के लिए तैयार की गई थी जबकि अंतिम पंचवर्षीय योजना वर्ष 2012-17 के लिए बनाई गई थी। योजना आयोग को वर्ष 2015 में भाजपा सरकार द्वारा नीति आयोग से बदल दिया गया था। नीति आयोग (NITI Aayog) Full Form नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (National Institution for Transforming India) या निति आयोग स्वास्थ्य, शिक्षा और उनसे संबंधित विभिन्न नीतियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है।

 

नीति आयोग की संरचना (Composition of NITI Aayog)

नीति आयोग के अध्यक्ष (Chairperson)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नीति आयोग के उपाध्यक्ष (Vice-Chairperson)- राजीव कुमार

नीति आयोग के सीईओ (Chief Executive Officer) – अमिताभ कांत

नीति आयोग के पूर्व आधिकारिक सदस्य – अधिकतम 4

नीति आयोग के अंशकालिक सदस्य – अधिकतम 2

इसके अलावा शासी परिषद जिसमें सभी मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडल शामिल हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों से संबंधित विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ सदस्य भी निति आयोग में शामिल हैं।

नीति आयोग के उद्देश्य और कार्य (Objectives & Functions of NITI Aayog)

राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं की रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना।

सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, इसको स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और सहयोगपूर्ण संघवाद (cooperative federalism) को बढ़ावा देना।

ग्राम स्तर पर विश्वसनीय और विकास योजनाएं (development plans) तैयार करने के लिए प्रणाली विकसित करना और इन सभी को सरकार के उच्चतर स्तर तक पहुंचाना।

जो क्षेत्र विशेष रूप से आयोग को सौपे गए हैं उनकी आर्थिक रणनीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को सम्मिलित करने को सुनिश्चित करना।

हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान देना जिन तक आर्थिक प्रगति का लाभ नहीं पहुंच रहा या जो उचित प्रकार से लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं।

रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा कार्यक्रम का ढांचा तैयार करना और पहल करना तथा उनकी प्रगति और क्षमता को मॉनीटर करना।

महत्वपूर्ण पणधारियों तथा समान विचारधारा वाले राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक और साथ ही साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थाओं के बीच परामर्श और भागीदारी को प्रोत्साहन देना।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, वृतिकों तथा अन्य भागीदारों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता की सहायक प्रणाली बनाना।

विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के क्रम में अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना।

अत्याधुनिक संसाधन केन्द्र बनाना जो सुशासन तथा सतत् और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसंधान करने के साथ-साथ स्टेकहोल्डर्स तक पहुंचाने में भी मदद करे।

आवश्यक संसाधनों की पहचान करने तथा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय अनुवीक्षण करना, ताकि सेवाएं प्रदान करने में सफलता की संभावनाओं को प्रबल बनाया जा सके।

कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर देना।

राष्ट्रीय विकास के एजेंडा और उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियों का उत्तरदायित्व लेना।

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