प्रत्येक किराना स्टोर के मालिक जानते हैं कि कैश उनके बिनजेस संचालन का मूल है। हालांकि, बिजनेस चलाने से जुड़े दैनिक खर्चों के साथ-साथ उन कई प्रकार का खर्च अनियोजित भी होतो है। जिसको पूरा करना अनिवार्य होता है। ऐसे में दुकानदार के पास अगर फंड नहीं होता है तो दिक्कत हो जाती है। इसे ही वर्किंग कैपिटल कहा जाता है। बिजनेस में वर्किंग कैपिटल को हर-वक्त मैनेज करके चलना चाहिए।
कई बार दुकानदार का पैसा मार्केट में फंस जाता है या पेमेंट आने में देरी होने लगती है। लेकिन जरुरी खर्चो को पूरा करना ही होता है। तो ऐसे में बिना सोचा वर्किंग कैपिटल लोन लेने के लिए आवेदन कर देना चाहिए। वर्तमान में बैंको से साथ ही एनबीएफसी से भी बहुत आसानी के साथ वर्किंग कैपिटल लोन मिल जाता है।
कैश फ्लो क्या है?
कैश फ्लो अंग्रेजी शब्द है। इसको हिंदी में नगदी प्रवाह कहा जाता है। “नकदी प्रवाह” से तात्पर्य किसी बिजनेस में बहने (सतत चलने) वाली धनराशि से है। इसे आप इस तरह से समझे कि यदि आपके पास कागज पर महीने भर का मुनाफा 50000 रुपये हैं, लेकिन यह धन आपके पास नहीं है, सिर्फ कागज पर है और कुछ समय बाद आने वाला है, तो आप बिजनेस का दैनिक खर्चों को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे। जबकि बिजनेस चलाने के लिए तो नगद धन चाहिए ही चाहिए होता है। तो यहां पर आपको वर्किंग कैपिटल लोन की आवश्यकता होगी। आइये आपको बताते हैं कि कैश-फ्लो और वर्किंग कैपिटल कैसे मैनेज किया जा सकता है।
कैश-फ्लो और वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट टिप्स
वर्किंग कैपिटल और कैश-फ्लो का सही प्रकार से मैनेजमेंट करने के लिए निम्नलिखित 5 तरिको का पालन करना चाहिए-
सलाह 1- बिजनेस लोन का उपयोग करके
बिजनेस का कैश फ्लो टूटा नहीं कि बिजनेस ठप हो जाता है। क्योंकि कैश-फ्लो से ही वर्किंग कैपिटल मैनेज होता है। बिजनेस में बहुत बार होता है कि बहुत अधिक उधारी हो जाता है या किसी सामान के लिए एडवांस में पेमेंट करना होता है। कारोबारी के लिए यह अतिरिक्त खर्च होता है। इस खर्च का वहन बिजनेस लोन के द्वारा आसानी के साथ किया जा सकता है। बिजनेस लोन की रकम से बिजनेस का संचालन सुचारु ढंग से करते हुए लोन को मंथली ईएमआई में चुकाया जा सकता है।
सलाह 2- प्रत्येक साल बिजनेस टैक्स में होते बतलाव का ध्यान रखें
एक रिटेल विक्रेता के रूप में, यह आपके कैश फ्लो मैनेजमेंट प्रोसेस के आवश्यक है कि आप हर साल की बिजनेस टैक्स, जीएसटी में हो रहे बदलावों पर नजर बनाएं रखें। इससे आपको नाहक ही परेशान नहीं होना पड़ेगा। इससे आपको अंदाजा लग जाता रहेगा कि आपको कितना कर का भुगतान करना है, जिससे आप पहले से ही तैयारी करके चलेंगे।
सलाह 3- गैर-जरुरी खर्च में कटौती कर सकते हैं
बहुत बार होता है कि पहले से ही कोई प्लान बन जाता है। जैसे किसी जगह पर घूमने जाने का प्लान या हर महीने किसी होटल में परिवार को भोजन कराने का प्लान या कोई नई कार खरीदने का प्लान। इन कार्यो में अधिक पैसा लगता है। लेकिन इन कार्यो पर होने वाले खर्च को बचाया जा सकता है। इससे बिजनेस को स्टेबिलटी मिलेगी और कैश-फ्लो भी ठीक बना रहेगा।
सलाह 4- उधारी पाने के लिए प्लान करना
बिजनेस है तो स्वभाविक सी बात है कि कुछ न कुछ तो उधार रहेगा ही। लेकिन यही उधार कारोबारी के लिए जी का जंजाल बन जाता है। ऐसा तब होता है, जब मार्केट में उधारी अटक जाए। मतलब उधारी पेमेंट आना ही बंद हो जाए। ऐसा होना बिजनेस के कैश-फ्लो के लिए खतरनाक है। इसके लिए कारोबारी को प्लान के तहत काम करना चाहिए। ऐसा प्लान करना चाहिए कि ग्राहक न चाहते हुए भी उधारी वापल करने लगे। इसके लिए हमारा सुझाव है कि आप ग्राहक को पार्ट पेमेंट करने का ऑप्शन दें। जिससे वह धीरे – धीरे बकाया पैसा वापस कर देगा।
सलाह 5- बिजनेस में मल्टी-पर्पज इन्वेंटरी रखें
किराना स्टोर में अगर ग्राहको के लिए सोफा रख देंगे तो यह बिजनेस के लिए ठीक नहीं होगा। यह दुकान की इन्वेंटरी में हर सामान ब्रांडेट ही रखना चाहेंगे तो भी यह दिक्कत की बात है। क्योंकि इन सब में आखिर बिजनेस का ही पैसा लगेगा। तो स्वाभाविक की बात है कि वह पैसा कैश-फ्लो को कमजोर करेगा, क्योंकि उसका कोई रिटर्न नहीं आने वाला है। इसलिए बिजनेस में हमेशा इन्वेंटरी रखने का प्रयास करें।
निष्कर्ष रुप में देखें तो किराना स्टोर का वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो मैनेज करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लेकिन इसके लिए आपको प्लानिंग करना जरुरी है। ताकि आपके बिजनेस में कभी कैश-क्रंच का सामना न करना पड़ें। उपयुक्त सलाह का पालन करके आप अपनी दुकान का कैश-फ्लो मेंटेन रख सकते हैं।