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टोर (Tor) एक फ्री ब्राउज़र (Free Browser) है जिसका इस्तेमाल इन्टरनेट यूज (Internet Use) करने में किया जाता है | टोर ब्राउज़र का पूरा नाम द अनियन राऊटर (The Onion Router) है, जिसका इस्तेमाल आप लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल में भी कर सकते हैं। आज इस आर्टिकल में Tor Browser क्या है, इसके बारे में बात करेंगे, ताकि आपको इसके बारे में सही जानकारी हो और आप इसका सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें। तो पढ़ते रहिए -#ThinkWithNiche

टोर ब्राउज़र क्या है (What is Tor Browser)?

टोर ब्राउज़र (Tor Browser) एक ऐसा सॉफ्टवेयर (software) है जिसकी मदद से Users Internet को anonymously या गोपनीयता से ब्राउज (Browse) कर सकते हैं। इस Browser को टोर प्रोजेक्ट (Tor Project) के द्वारा बनाया गया है जो Internet में गोपनीयता की बढ़ावा देता है।

टोर ब्राउज़र को Onion Router भी कहा है, क्योंकि ये अनियन राउटिंग (Onion Routing) की तकनीक का इस्तमाल करता है जिसकी मदद से यूज़र्स (Users) की ऑनलाइन एक्टिविटी (online activity) को गोपनीय रखा जाता है।

टोर प्रोजेक्ट (Tor Project) की अधिकतम फंडिंग (maximum funding) अमेरिकी सरकार (US Government) ने की है, इसलिए अगर इसे एक अलग नज़र से देखा जाये तो ये एक ऐसा टूल (Tool) है जिसकी मदद से दूसरे देशों पर अधिकार के रूप में इसका इस्तमाल किया जा सकता है।

अगर आसान भाषा में कहे तो टोर (Tor) एक ऐसा जरिया है जिसकी मदद से कोई भी यूजर अपने इंटरनेट फूटप्रिंट्स (Internet footprints) को छुपा सकता है, हालांकि ये (वीपीएन) VPN से अलग है। लेकिन दोनों को एक साथ इस्तमाल किया जा सकता है।

अगर एक दूसरे नज़रिए से देखें तो Tor Browser एक gateway या द्वार है, जिसे डीप वेब (Deep Web) या फिर डार्क वेब (Dark Web) भी कहा जाता है, इंटरनेट (Internet) का मेजोरिटी (majority) हिस्सा है।

इंटरनेट (Internet) एक Iceberg है तो जो हिस्सा हम अपने सामान्य ब्राउज़र (normal Browser) से देख सकते हैं या वो जो की गूगल (Google) में हम खोज सकते हैं वो केवल iceberg का टिप (tip) यानि ऊपरी हिस्सा है। लेकिन जो बड़ा हिस्सा हमें दिखाई नहीं देता और जिसे गूगल (Google) की सर्च इंजन्स (Search Engines) भी नहीं खोज सकती वो है डार्क वेब (Dark Web), या वो उस iceberg का वो हिस्सा है जो की पानी के अन्दर डूबा हुआ है और वो हमें नज़र नहीं आता, और इस भाग के इंटरनेट को हम अपने नार्मल ब्राउज़र (normal browser) के मदद से खोज नहीं सकते और उन्हें सिर्फ टोर ब्राउज़र (Tor Browser) से ही देखा और इस्तमाल किया जा सकता है। टोर ब्राउज़र (Tor Browser) का इस्तमाल मुख्य रूप से पत्रकार (journalist) और एक्टिविस्ट्स (activists) करते हैं जो की ऐसे देश में रहते हैं या काम करते है जहाँ के इंटरनेट (Internet) के इस्तेमाल में बहुत प्रतिबंध (restriction) हैं, इसीलिए टोर ब्राउज़र (Tor Browser) की मदद से वो अपना काम कर सकते हैं। अभी हाल में ही आपने एडवर्ड स्नोडेन (Edward Snowden) का नाम तो सुना ही होगा जिसने अमेरिकन गवर्नमेंट (American Government) के बारे में कुछ सीक्रेट्स (secrets) लोगों के सामने उजागर किये थे, और माना जा रहा वो भी टोर ब्राउज़र (Tor Browser) का इस्तमाल करता था।

टोर ब्राउज़र (Tor Browser) का मुख्य काम यूजर की पहचान को गोपनीय रखना है और ऐसा करने के लिए वो आपके ट्रैफिक को बहुत से अलग-अलग टॉप सर्वर्स (Tor Servers) से गुजारते हैं और इसके साथ उन्हें एन्क्रिप्ट (Encrypt) भी किया जाता है जिससे कि कोई चाहे भी तो आपको Trace नहीं कर सकता। और कोई आपको ट्रैक (Track) करने की कोशिश भी करे तो आपके सही लोकेशन के बारे में उसे पता नहीं चल सकेगा।

क्यों इंटरनेट सिक्योर (Secure) नहीं है?

अगर आपको ये समझना है की टोर ब्राउज़र (Tor Browser) कैसे काम करता है तो पहले आपको ये समझना पड़ेगा की ये इंटरनेट (Internet) कैसे काम करता है। अगर इंटरनेट बेसिक (Internet basic) की बात की जाए तो ये कम्प्यूटर्स के बीच कनेक्शंस की सीरीज (series of connections) है, जो कि एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। शुरूआती दिनों में कम्प्यूटर्स आइसोलेटेड (isolated) हुआ करते थे, जो कहीं किसी से Communicate नहीं किया करते थे।

लेकिन जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी (Technology) में तरक्की हुई वैसे-वैसे इंजीनियर्स ने कम्प्यूटर्स को आपस में जोड़ने के बारे में रिसर्च (Research) किया और वो सफल भी हुए। पहले नेटवर्क (Network) का आविष्कार हुआ, लेकिन यहाँ भी कम्प्यूटर्स (Computers) को पास पास रहने की जरुरत थी। हालांकि, फाइबर ऑप्टिक्स (Fiber Optics) के आविष्कार के बाद दूरी अब एक समस्या नहीं रह गई थी।

कुछ कम्प्यूटर्स इंटरनेट (Internet) के डेटा (data) को स्टोर (store) करते हैं जिन्हें सर्वर (Server) कहा जाता है, और जिस डिवाइस (device) की मदद से उन जानकारियों को एक्सेस (access) किया जाता है उन्हें क्लाइंट (Client) कहा जाता है, वह स्मार्टफोन, पीसी, टैब (SmartPhone, PC, Tab) या कोई भी डिवाइस (Device) हो सकते है।

और इन दोनों के बीच के कनेक्शन को ट्रांसमिशन मीडिया (transmission media) कहा जाता है, जो की फाइबर ऑप्टिक्स, लेन केबल या वायरलेस सिग्नल (Fiber optics, lan cable, Wireless signal) भी हो सकते हैं। हालांकि, देखा जाये तो क्लाइंट्स की जरुरत की जानकारी वो सर्वर (Server) से लाते हैं, लेकिन ये डेटा फ्लो (data flow) दोनों ओर से हो सकता है।

ये डेटा (Data) को इंटरनेट में पैकेट्स (Packets) के हिसाब से भेजा जाता है। हालाँकि इन पैकेट्स में भेजने वाले यानि Sender और स्वीकार करने वाले यानि Receiver के बारे में जानकारी होती है, लेकिन कुछ लोग और Organizations भी डेटा को मॉनिटर (monitor) कर सकते हैं।

इस डेटा को अब केवल सर्वर (Server) ही नहीं देख सकता बल्कि ये एक ट्रैफिक एनालिसिस बिज़नेस (Traffic Analysis business) बन चुका है, जिसमें दोनों प्राइवेट और गवर्नमेंट संगठन (Private and Government Organizations) इन मैसेज flow को देख और एनालाइज (analyse) कर सकते हैं। इसी डेटा को Tor Browser एन्क्रिप्ट (encrypt) कर देता है ताकि यूजर्स की online footprints को आसानी से track न किया जा सके।

टोर ब्राउज़र का इतिहास History of Tor Browser

Tor मुख्य रूप से अनियन राउटिंग (Onion routing) के सिद्धांतों के ऊपर आधारित है। इसे पॉल सिवरसन, माइकल जी. री और निक मैथ्यूसन (Paul Syverson, Michael G.Ree, Nick Mathewson) द्वारा यूनाइटेड स्टेट्स के नेवल रिसर्च लेबोरेटरी (Naval Research Laboratory) में सन 1990 में डेवेलप (Develop) किया गया था।

टोर ब्राउज़र के अल्फा वर्ज़न (Alpha version) का नाम ‘The Onion Routing Project’ या Tor Project रखा गया, जिसे रोजर डिंगलडाइन (Roger Dingledine) और निक मैथ्यूसन (Nick Mathewson) के द्वारा develop किया और इसे September 20, 2002, में लांच किया।

इसके बाद के रिसर्च और डेवलपमेंट (Research and Development) को इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फ्रंटियर फाउंडेशन (Electronic Frontier Frontier Foundation- EFF) के द्वारा किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का पूरा उत्तर्दयित्व Tor Project Inc. के द्वारा किया जा रहा है जोकि एक non-profit organization है। इस प्रोजेक्ट (Project) को US और स्वीडिश सरकार (Swedish Government) के द्वारा फण्ड (Fund) किया जा रहा है।

Tor Browser कैसे काम करता है?

Tor Browser अनियन राउटिंग के प्रिंसिपल्स (Principle of Onion Routing) पर काम करती है। जिसमें पहले यूजर डेटा (user data) को encrypt किया जाता है और फिर उसे ट्रांसफर (transfer) किया जाता है, जिससे एक मल्टी लेयर्ड एन्क्रिप्शन (multi-layered encryption) बनकर तैयार होता है (जैसे की अनियन में होता है), इससे users की पहचान भी सुरक्षित रहती है।

सभी टोर रिले (Tor relay) में एक encryption Layer को decrypt किया जाता है, और बाकि डेटा को आगे random relay में भेजा जाता है और ये काम तब तक होता है जब तक की वो अपने डेस्टिनेशन सर्वर (Destination Server) में न पहुँच जाये।

Tor Browser Download कैसे करें?

आपके जानकारी के लिए बता दूँ कि टोर ब्राउज़र को इस्तमाल या डाउनलोड करने के लिए आपको पैसे देने की जरुरत नहीं है ये बिलकुल मुफ्त है, इसे आप नीचे दिए हुए लिंक से Download कर सकते हैं।

टोर ब्राउज़र का इस्तमाल कैसे करें? How to use Tor Browser

सबसे पहले आपको टोर ब्राउज़र (Tor Browser) को डाउनलोड (download) करना है। वास्तव में ये Firefox का मॉडिफाइड वर्ज़न (modified version) होता है। लेकिन याद रहे कि आप इसे सही सोर्स (source) से ही डाउनलोड (download) करें, क्योंकि ऐसा न करना आपको बाद में भारी पड़ सकता है।

जब आप इसे डाउनलोड करेंगे तो ये नॉर्मल प्रोग्राम (Normal program) की तरह इनस्टॉल (install) नहीं होगा बल्कि ये अपने आप (automatically) आपके desktop में install हो जायेगा। ऐसा इसलिए क्यूंकि टोर एक पोर्टेबल ब्राउज़र (Portable browser) है इसलिए ये आपके प्रोग्राम्स फाइल्स (Program files) में install न होकर आपके डेस्कटॉप (Desktop) पर ही install हो जाता है ।

अगर आप इसकी इनस्टॉल लोकेशन (install location) को बदलना चाहें तो आप ऐसे कर सकते हैं, बस आपको Install location में browse का option को चुनना है, बाकि सारी प्रक्रिया नार्मल प्रोग्राम इंस्टालेशन (normal program installation) की तरह ही रहेगी।

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